पेड़ और पंछियों की दोस्ती बहुत गहरी होती है लेकिन कभी कभी दोस्ती से बढ़कर भी कुछ हो जाता है........
सूर्य के उगने से पेड़ो से आकाश में चले जाना ,और डूबते ही फिर लौट आना यही तो होता है पंछियों का दैनिक कार्य!
कानपुर देहात के नामी गांवो में से एक गाँव “जामू” भी है जनसंख्या इतनी ज्यादा होने के बावजूद गाव एक जूट हो कर रहता है ,हा भले वो सिर्फ दिखावा ही क्यों न हो , एक दिन गाव में लगी बैठक गाव के निर्माण हेतु आई धनराशि का क्या किया जाए इस पर चर्चा हो रही थी।वही सुरेश कुमार नामक व्यक्ति ने कहा मुखिया जी जल्दी से चलिए मेरी बेटी ने गाव के पास वाले नीम के पेड़ में फासी लगा ली है ,यह सुन कर मुखिया सहित सभी लोग पेड़ के पास पहुचे ,और वह पहुच कर चर्चा होने लगी कि यह हुआ कैसे ,क्यों लगाई लड़की ने फांसी ?
सुरेश ने बताया कि किसी भी प्रकार की बहस नही हुई थी,और न कोई प्रेम सम्बंद! फिर भी जाने क्यों लड़की ने फांसी लगाई ?
कल रात को घर से निकली थी कि इस पेड़ के झूले में झूलने जा रही थी ।
इस बात पर गाव वालो ने किसी भी प्रकार का प्रभाव नही डाला ।
अगले ही सफ्ताह गाँव के जमीदार के खेतो से एक लाश बरामद होती है जिस पर किसी प्रकार के जान से मारने के निशान प्राप्त नही हुए। पुलिस की कई कोशिशो के बावजूद उस मौत की कोई जानकारी प्राप्त नही हुई बस यह इस महीने की दूसरी मौत है नीम के पास वाले खेत से ।
फिर से गाँव मे एक दिन रात में गांव के एक चौराहे में एक और लाश बरामद होती है लेकिन यह लाश इस बार नीम के पेड़ के पास नही थी ,गाव के लोगो मे भय बैठ रहा था ,सिर्फ हो रही मौतों को लेकर
लेकिन इन लाशो के पास से कोई शबूत प्राप्त नही हो रहा था
एक बार फिर से इस महीने की चौथी लाश उसी नीम के पेड़ पास बरामद होती है फिर से कोई शबूत नही और मरने का कोई निशान नही सिर्फ एक ही बात इन चारों में समान थी कि चारो लाश लड़कियों की ही थी।
इस बात से गाव की सारी बहु बेटिया में डर बैत गया था कोई लड़की अपने घर से निकलती थी उसी दौरान पुलिस अपनी सारी जाँचो के बाद जानती है कि चारों लडकियो के साथ बलात्कार किया गया है लेकिन शरीर पर मारने का कोई भी निशान पुलिस के एक शबूत तो मिल लेकिन एक पहलू का फरदा हटाने में पुलिस अभी तक नाकामियाब थी कि उन लड़कियों की मौत कैसे हुई
उसी दौरान पुलिस अधीक्षक गाव की पंचायत में पहुचते है वह पर उस नीम के पेड़ सम्बंदित लाला नाम के लड़के की मौत से बात चीत चल रही थी लेकिन अधीक्षक साहब ने उस पर ज्यादा गौर नही किया , अधीक्षक साहब वहाँ पर पूछताछ कर अपने थाने की ओर चले गए ।
थाने पहुच कर उन्होंने एक चाय पी,तभी एक माही कॉन्स्टेबल ने कहा साहब क्यों न हम लोग एक बार महिला कांस्टेबल को ही उस नीम के पेड़ के पास रख कर देखते है कि उस पेड़ की लड़कियों से दुश्मनी क्या है साहब ने उस बात को काफी गौर से लिया और कहा मैडम आप कल उस पेड़ के पास जाएगी लेकिन आपके साथ एक पुरुष कॉन्स्टेबल भी होगा ।
अगली ही रात दोनो कांस्टेबल अपनी ड्यूटी उस पेड़ के करने के लिए जाते है ।
काफी अंधेरा था लेकिन कॉन्स्टेबल साहब अपने फ़ोन की टोर्च जलाये रखते है दोनो लोग अपने चारों ओर नज़र रखते है तभी पानी की बोतल खाली हो जाती है कॉन्स्टेबल साहब बोलते है कि मैडम मैं अभी पानी भर कर आता हूं मैडम ने कहा ठीक है लेकिन जल्दी आइयेगा । मैडम अपने चारों ओर नज़र रख रही होती है कि तभी एक मैडम के ऊपर एक प्रभाव स होने लगा कि उनकी वर्दी पर कोई हातो से उतरने की कोसिस कर रहा है ....कॉन्स्टेबल साहब आते आते ही मैडम का बलातकार हो चुका था और मैडम की मौत भी हो गयी थी ।
कॉन्स्टेबल साहब बहुत गबरा गए थे वो वही ओर चक्कर खा कर गिर जाते है
पानी की छिड़काव के द्वारा कॉन्स्टेबल साहब तो उत जाते है लेकिन मैडम नही उठती है ,महीने की पांचवी मौत उसमे से एक पोलिस कॉन्स्टेबल की मौत से मामला बहुत बड जाता है इस मामले में कोई भी सफलता के न रहते हुए दरोगा साहब का ट्रांसफर हो जाता है और एक नए अफसर नियुक्त होते है